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Showing posts from December, 2019

गौतम बुद्धा

जीवन परिचय बुद्ध को  ' गौतम बुद्ध ', ' महात्मा बुद्ध '  आदि नामों से भी जाना जाता है। वे संसार प्रसिद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक माने जाते हैं। बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। आज बौद्ध धर्म सारे संसार के चार बड़े धर्मों में से एक है। इसके अनुयायियों की संख्या दिन-प्रतिदिन आज भी बढ़ रही है। इस धर्म के संस्थापक बुद्ध राजा शुद्धोदन के पुत्र थे और इनका जन्म स्थान लुम्बिनी नामक ग्राम था। वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे। उनके गुज़रने के बाद अगली पाँच शताब्दियों में ,  बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गया और अगले दो हज़ार सालों में मध्य ,  पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं-  ' थेरवाद ', ' महायान '  और  ' वज्रयान ' । बौद्ध धर्म को पैंतीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। जन्म गौतम बुद्ध का मूल नाम  ' सिद्धार्थ '  था। सिंहली ,  अनुश्रुति ,  खारवेल के अभिलेख ,  अशोक के सिंहासनारो...

बिन्दुसार मौर्य

बिन्दुसार बिन्दुसार मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र था , जो 297-98 ईसा पूर्व में शासक बना और उसने 272 ईसा पूर्व तक राजकाज किया। बिन्दुसार को ' अमित्रघात ' भी कहा जाता है। यूनानी इतिहासकार उसे ' अमित्रोचेट्स ' के नाम से पुकारते हैं। बिन्दुसार ने अपने पिता द्वारा जीते गए क्षेत्रों को पूर्ण रूप से अक्षुण्ण रखा था। बिन्दुसार की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अशोक सम्राट बना। बिन्दुसार को यूनानियों ने ' अमित्रोचेट्स ' कहा , जो संभवत: संस्कृत शब्द ' अमित्रघट ' से लिया गया है , जिसका अर्थ है , ' शत्रुनाशक ' । यह उपाधि दक्षिण में उनके सफल सैनिक अभियानों के लिये दी गई होगी , क्योंकि उत्तर भारत पर तो उनके पिता चंद्रगुप्त मौर्य ने पहले ही विजय प्राप्त कर ली थी। बिंदुसार का विजय अभियान कर्नाटक के आसपास जाकर रूका और वह भी संभवत: इसलिये कि दक्षिण के चोल , पांड्य व चेर सरदारों और राजाओं के मौर्यो से अच्छे संबंध थे। इसका पुत्र अशोक महान था। जीवन परिचय चंद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार सम्राट बना। यूनानी लेखों के अनुसार इसका ना...

राजा पोरस

राजा पोरस का जीवनी राजा पुरुवास या राजा पोरस का राज्य पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक फैला हुआ था। वर्तमान लाहौर के आस-पास इसकी राजधानी थी। राजा पोरस (राजा पुरू भी) पोरवा राजवंश के वशंज थे , जिनका साम्राज्य पंजाब में झेलम और चिनाब नदियों तक (ग्रीक में ह्यिदस्प्स और असिस्नस) और उपनिवेश ह्यीपसिस तक फैला हुआ था।। राजा पोरस ( King Porus) और सिकन्दर की कहानी काफी मशहूर है जिसे ना केवल एतेहासिक लेखो में बल्कि लोगो की जुबान पर भी इनके बीच हुए युद्ध की कहानी याद   है | यूनानी इतिहास में ना केवल सिकन्दर की बहादुरी की प्रशंशा है बल्कि पोरस की प्रसंशा भी की गयी है | आइये आज हम आपको उस महान राजा पोरस की जीवनी से रूबरू करवाते है | राजा पोरस ( King Porus) पौरवो का राजा था जिनका साम्राज्य झेलम और चिनाब नदी के बीच फैला हुआ था | पौरवो का उद्गम महाभारत काल का माना जाता है | जो राजा चन्द्र वंश निकले वो चन्द्रवंशी कहलाये थे | ययाति नामक एक राजा इसी प्रकार का एक चन्द्रवंशी राजा था जिसके दो पुत्र थे पुरु और यदु | पुरु के वंशज पौरव कहलाये और यदु के वंशज यादव कहलाये | इसलिए राजा पोरस एक...

चन्द्रगुप्त मौर्य

सम्राट चन्द्रगुप्त महान थे। उन्हें चन्द्रगुप्त महान कहा जाता है। सिकंदर के काल में हुए चन्द्रगुप्त ने सिकंदर के सेनापति सेल्युकस को दो बार बंधक बनाकर छोड़ दिया था। सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य थे। चन्द्रगुप्त ने अपने पुत्र बिंदुसार को गद्दी सौंप दी थीं। बिंदुसार के समय में चाणक्य उनके प्रधानमंत्री थे। इतिहास में बिंदुसार को ' महान पिता का पुत्र और महान पुत्र का पिता ' कहा जाता है , क्योंकि वे चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र और सम्राट अशोक महान के पिता थे। चंद्रगुप्त मौर्य का पारिवारिक परिचय: चन्द्रगुप्त महान के प्रारंभिक जीवन के बारे में जानकारी हमें जैन और बौद्ध ग्रंथों से प्राप्त होती है। विशाखदत्त के नाटक ' मुद्राराक्षस ' में चन्द्रगुप्त को नंदपुत्र न कहकर मौर्यपुत्र कहा गया है। यह भी कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त मुरा नाम की भील महिला के पुत्र थे। यह महिला धनानंद के राज्य में नर्तकी थी जिससे राजाज्ञा से राज्य छोड़कर जाने का आदेश दिया गया था और वह महिला जंगल में रहकर जैसे-तैसे अपने दिन गुजार रही थी। चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म कहते हैं कि चंद्रगुप्त मौ...

अशोक महान

सम्राट अशोक. सम्राट अशोक को Generally Ashoka या फिर Ashoka the Great के नाम से भी जाना जाता है। वे भारत के संपन्न सम्राटो में से एक थे। किताब 'outline of history' में samrat ashoka के बारे में , उनकी वीरता के किस्से के बारे में लिखा गया है । उनकी कहानी पुरे इतिहास में प्रसिद्ध है , वे एक लोक-प्रिय , इंसाफ , कृपालु और शक्तिशाली सम्राट थे । ashoka the great मौर्य राजवंश के एक भारतीय सम्राट थे जिनका शासन भारतीय उपमहाद्वीप पर सन 273 से 232 तक चला । उन्हें बौद्ध धर्म का भी प्रचार किया था। भारत का राष्ट्रीय चिह्न ( National Symbols) ' अशोक चक्र ' और शेरों की त्रिमूर्ति ' अशोक स्तम्भ ' भी अशोक महान की ही देन है। सम्राट अशोक का जन्म सम्राट अशोक का जन्म 304 साल पहले पटना के पाटलीपुत्र मे हुआ था । सम्राट अशोक सम्राट बिन्दुसार और माँ कल्याणी के पुत्र थे । सम्राट अशोक की माँ कल्याणी चंपक नगर के एक बहुत ही गरीब परिवार की बेटी थी। सम्राट अशोक का बचपन सम्राट अशोक को बचपन से ही शिकार करने का शौक था । जब वे थोड़े से बड़े हुए तभी से उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर साम्...

सावित्री बाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका

19 वीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों , अशिक्षा , छुआछूत , सतीप्रथा , बाल या विधवा-विवाह जैसी कुरीतियों पर आवाज उठाने वाली देश की पहली महिला शिक्षिका को जानते हैं ? ये थीं महाराष्ट्र में जन्मीं सावित्री बाई फुले जिन्होंने अपने पति दलित चिंतक समाज सुधारक ज्योति राव फुले से पढ़कर सामाजिक चेतना फैलाई. उन्होंने अंधविश्वास और रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़ने के लिए लंबा संघर्ष किया. आइए जानें सावित्री बाई फुले के जीवन के बारे में कि किस तरह उन्होंने अपने संघर्ष से मंजिल पाई भारत की पहली महिला शिक्षिका 19 वीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों , अशिक्षा , छुआछूत , सतीप्रथा , बाल या विधवा-विवाह जैसी कुरीतियों पर आवाज उठाने वाली देश की पहली महिला शिक्षिका को जानते हैं ? ये थीं महाराष्ट्र में जन्मीं सावित्री बाई फुले जिन्होंने अपने पति दलित चिंतक समाज सुधारक ज्योति राव फुले से पढ़कर सामाजिक चेतना फैलाई. उन्होंने अंधविश्वास और रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़ने के लिए लंबा संघर्ष किया. आइए जानें सावित्री बाई फुले के जीवन के बारे में कि किस तरह उन्होंने अपने संघर्ष से मंजिल पाई. जीवन परिचय सावित्रीबाई फुल...

ज्योतिबा फुले

महान समाज सुधारक ज्योतिबा राव फुले और उनकी धर्म पत्नी ने ही महिलाओं और दलितों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया था । ख़ुद पर उस समय के समाज की गंदी सोच को अपने ऊपर हावी ना होने देकर मानवता को तवज्जो दी । उसके बाद महात्मा गांधी जी से लेकर बाबा साहब जी तक ने उन्हें गुरु माना । और उनके नक़्शे क़दम पर चलते हुए सामाजिक क्रांति की । लेकिन ज्योतिबा राव फूले जी ब्राह्मण जाति के ख़िलाफ़ नही थे । वे उस व्यवस्था के ख़िलाफ़ थे जिसमें किसी को जाति के कारण सामाजिक और आर्थिक अधिकार से वंचित कर दिया जाता है । ये ही कारण है कि उन्होंने अपने अंतिम समय में अपनी सारी ज़मीन जायदाद एक ग़रीब ब्राह्मण को दान में देकर इस बात को प्रमाणित भी किया था कि व्यवस्था परिवर्तन उनका उद्देश्य है । और उनसे ही प्रेरणा लेकर हम सबके प्रिय सविंधान निर्माता बाबा साहेब जी ने भी एक विधवा ब्राह्मणी से विवाह कर कर ये ही संदेश देना चाहा कि व्यवस्था परिवर्तन ही वास्तव में सभी सामाजिक सुधारको का उद्देश्य था । लेकिन अफ़सोस आज इसी विचार की आड़ में ब्राह्मण विरोध की आड़ में हिंदू धर्म को गरियाने की कुटिल चाल जारी है । इन सबके बीच प...